Sunday, February 26, 2012

नैन मिला लो देख भले लो

नैन मिला लो देख भले लो
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ये “फूल” अरे तुम ना छेड़ो
गुपचुप- हंसने- मुस्काने दो
प्रेम की पुस्तक खुली आज है
जी भर पाठ पढ़ाने दो
नैन मिला लो देख भले लो
भौंरे संग हंसने गाने दो
मदमस्त थिरकता पथ अपने
कांटे संग इसे निभाने दो
नैन मिला लो देख भले लो
भौंरे संग हंसने गाने दो …..
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कली -भ्रमर का साथ पुराना
कितने सपने- ताना बाना
खुश्बू पराग मधु रस ले ले
दुनिया को इसका झूंठलाना
ये पतंग है खुले आसमां
मुक्त ह्रदय उड़ जाने दो
इस डाली के संग कुछ दिन तो
हरा भरा रह जाने दो
नैन मिला लो देख भले लो
भौंरे संग हंसने गाने दो…
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तुझसे कितने जोगी भोगी
भगवा-गेरुआ- मन के रोगी
हैं रोज लगाते सौ सौ फेरा
सुखद ताजगी नैनों में भर
बैठे ताकें – डाले डेरा
रंग बिरंगी तितली के संग
उड़ उड़ कलरव करने दो
पीहर हरियाली खुशहाली
इसको कुछ इतराने दो
नैन मिला लो देख भले लो
भौंरे संग हंसने गाने दो …
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शीतल संध्या -अन्धकार है
गुमसुम ख्वाबों में डूबा है
ओस के मोती जुल्फ-अधर -हो
वदन चूमते झर झर झरते
चातक चोर कवि छिप देखें
रिमझिम सावन की फुहार में
जी भर – इसे नहाने दो
नैन मिला लो देख भले लो
भौंरे संग हंसने गाने दो ….
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मलयानिल के झकझोरों से
कांटे- कीड़ों– से-लड़ने दो
नरम धुप या जेठ दुपहरी
मन भर तुम मुरझाने दो
झंझावात आँधियों से कल
धुल धूसरित हो हो लड़ना
नैन नीर से दिल से सींचो
प्रेम के पर फ़ैलाने दो
नैन मिला लो देख भले लो
भौंरे संग हंसने गाने दो …..
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सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर ५
७.४५-८.०० पूर्वाह्न २५.२.१२
करतारपुर जल पी बी



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