Pages

Monday, June 8, 2015

गाल गुलाब छिटकती लाली




गाल गुलाब छिटकती लाली
-----------------------------
जुल्फ झटक मौका कुछ देती
अँखियाँ भरे निहार सकूँ
कारी बदरी फिर ढंक लेती
छुप-छुप जी भर प्यार करूँ
=================
इन्द्रधनुष सतरंगी सज-धज
त्रिभुवन मोहे अजब मोहिनी
कनक समान सजे हर रज कण
किरण गात तव अजब फूटती
========================
गहरी झील नैन भव-सागर
उतराये डूबे जन मानस
ढाई आखर प्रेम की गागर
अमृत सम पीता बस चातक
-----------------------------
गाल गुलाब छिटकती लाली
होंठ अप्सरा इंद्र की प्याली
थिरक रिझा मतवारी मोरनी
लूट चली दिल अरी ! चोरनी
====================
कंठ कभी कब होंठ सूखते
मति-मारी मद-मस्त हुआ
डग मग पग जब दिखे दूर से
पास खिंचा 'घट' तृप्त हुआ
====================
कंचन कामिनी कटि हिरणी सी 
नागिन ह्रदय पे लोट गयी
चकाचौंध अपलक बिजली सी
मंथन दिल अमृत -विष कुछ घोल गयी
========================
सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर ५
६-६.५७ मध्याह्न
कुल्लू हिमाचल प्रदेश भारत
७-मई -२०१५
 


please be united and contribute for society ....Bhramar5