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Sunday, June 26, 2011

साजन (तेरी नजरों का प्यार भरा था)

उस - एक तराजू के पलड़े में
सोना -चांदी कुछ प्यार भरा था
नफरत थी कुछ घृणा भरी थी
जीवन संग अंगार भरा था !!

इस झुके हुए पलड़े में साजन



तेरी नजरों का प्यार भरा था



जो अथाह था -मन से मिलते
सपने -सच-श्रृंगार भरा था !!
(सभी  फोटो  गूगल  / नेट  से  साभार  )


इस किताब को पढ़ पाने का

जज्बा-प्यारा हुनर भरा था

भंवर में उलझी नौका मेरी







माझी -इक पतवार दिखा था !!

शुक्ल भ्रमर  
२७.०६.२०११ जल पी बी 

4 comments:

  1. आदरणीया संगीता जी धन्यवाद रचना के भाव मन को छू पाए हर्ष हुआ
    शुक्ल भ्रमर ५

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  2. आपकी इस रचना में जीवन के लिए एक नया दृष्टिकोण भरा है ....आपका आभार इस सार्थक प्रस्तुति के लिए ..!

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  3. आदरणीय केवल राम जी हार्दिक अभिवादन आप का -इस रचना में प्रेमिका द्वारा प्रेम को, धन और भौतिक वस्तुओं/सुखों से अधिक वरीयता दी गयी है -रचना में जीवन के लिए सार्थक सन्देश दिखा आप को सार्थक रहा लिखना -बहुत बहुत धन्यवाद
    आभार आप का
    शुक्ल भ्रमर ५

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