Pages

Saturday, July 9, 2011

सच तो शिव है -शिव ही करता नाग सरीखा संग-संग रहता

सच एक हंस है 
पानी दूध को अलग किये ये 
मोती खाता -मान-सरोवर डटा  हुआ है 
धवल चाँद है 
अंधियारे को दूर भगाता
घोर अमावस -अंधियारे में 
महिमा अपनी रहे बताता 
ये तो भाई पूर्ण पड़ा है !
----------------------------
सच-सूरज है अडिग टिका है 
लाख कुहासा या अँधियारा 
चीर फाड़ हर बाधाओं को 
रोशन करने जग आ जाता 
प्राण फूंक हर जड़-जंगम में 
नव सृष्टि ये  रचता जाता 
सुबह सवेरे पूजा जाता !!
------------------------ 
सच- आत्मा है - परमात्मा है 
कभी मिटे ना लाख मिटाए 
चाहे आंधी तूफाँ  आये 
चले सुनामी सभी बहाए 
दर्द कहीं है लाश बिछी है 
भूखा कोई रोता जाये 
कहीं लूट है - घर भरते कुछ 
सच - दर्पण है सभी दिखाए !!
--------------------------------------
सच तो शिव है -शिव ही करता 
नाग सरीखा संग-संग रहता 
जिसके पास ये आभूषण हैं 
ब्रह्म -अस्त्र ये- ताकत उसमे 
पापी उसके पास न आयें 
राहू-केतु से झूठे राक्षस 
झूठें ही बस दौड़ डराएँ 
खाने धाये !!
--------------------------------
सच इक आग है - शोला है ये 
धधक रहा है चमक रहा है 
उद्भव -पूजा हवन यज्ञं में 
आहुति को ये गले लगाये 
प्राणों को महकाता जाए 
श्री गणेश -पावन कर जाये 
भीषण ज्वाला - कभी नहीं जो बुझने वाला 
लंका को ये जला जला कर 
झूठी सत्ता- झूठ- जलाकर 
अहम् का पुतला दहन किये है 
सब कुछ भस्म राख कर देता 
गंगा को सब किये समर्पित 
मूड़ मुड़ाये सन्यासी सा 
बिना सहारा-डटा खड़ा है !!
--------------------------------
सच ये कोई नदी नहीं है 
जब चाहो तुम बाँध बना लो 
ये अथाह है- सागर- है ये 
गोता ला बस मोती ढूंढो 
-------------------------------
सच ये भाई ना घर तेरा 
जाति नहीं- ना धर्म है तेरा 
जब चाहो भाई से लड़ -लड़ 
ऊँची तुम दीवार बना लो 
---------------------------
सच पंछी है मुक्त फिरे है 
आसमान में -वन में -सर में 
एकाकी -निर्जन-जीवन में 
सच की महिमा के गुण गाये 
कलरव करते विचरे जाए !!
-----------------------------------
सच कोमल है फूल सरीखा 
रंग बिरंगा हमें लुभाए 
चुभते कांटे दर्द सहे पर 
हँसता और हंसाता जाये 
जीवन को महकाता  जाये 
अमर बनाये !!
-----------------------------
सच कठोर है -ये मूरति है 
सच्चाई का  दामन थामे 
पूजे मन से जो -सुख जाने 
यही शिला है यही हथौड़ा 
मार-मार मूरति गढ़ता है 
सुन्दर सच को आँक आँक कर 
सच्चाई सब हमें दिखाता
आँखें फिर भी देख न पायें 
या बदहवास जो सब झूंठलायें  
ये पहाड़ फिर गिर कर भाई 
चूर चूर सब कुछ कर जाए !!
----------------------------------

सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर 
७.७.२०११ ६.२६ पूर्वाह्न जल पी बी 

9 comments:

  1. सच को बहुत सुंदरता से शब्दों में ढाला है ...

    ReplyDelete
  2. बहुत ही अच्छी प्रस्तुति ||
    बधाई ||

    ReplyDelete
  3. आदरणीया संगीता जी-हार्दिक अभिवादन मै गूगल में सर्च से आप के तेताला में पहुंचा और ये देख बहुत ख़ुशी की अनुभूति हुयी की आप ने मेरी रचना सच ही शिव है -शिव ही करता को चर्चा में स्थान दिया लिखना सार्थक रहा -आभार आप का
    बहुत ही सुन्दर लिंक लगाया आप ने और कुछ ही केवल अभी हम पढ़ पाए रचनाये सुन्दर -आप के इस परिश्रम भरे अभियान और सार्थक प्रयास के लिए ढेर सारी शुभ कामनाएं
    शुक्ल भ्रमर ५

    ReplyDelete
  4. प्रिय रविकर जी धन्यवाद आप का और आप की रचना तेताला में चुनी जाने के लिए बधाई

    ReplyDelete
  5. बहुत सुंदर शाब्दिक अलंकरण लिए रचना .... गहन अभिव्यक्ति...

    ReplyDelete
  6. डॉ मोनिका शर्मा जी बहुत बहुत धन्यवाद आप का सत्य हमारे तन मन में हर रूप में समाहित है अब उसे कोई नहीं देख सके या उस को नजर अंदाज करे तो बात ही कुछ जुदा है -रचना के शब्द अलंकरण सुन्दर लगे सुन हर्ष हुआ
    आभार आप का
    शुक्ल भ्रमर ५

    ReplyDelete
  7. सच की ये महिमा बहुत न्यारी लगी।

    ReplyDelete
  8. आदरणीय मनोज जी हार्दिक अभिनंदन आप का भ्रमर की माधुरी में -
    सच की महिमा प्यारी और न्यारी लगी आप का समर्थन मिला लिखना सार्थक रहा
    आभार
    शुक्ल भ्रमर ५

    ReplyDelete

हिंदी बनाने का उपकरण ऊपर लगा है कृपया वहां आप अपनी भाषा / हिंदी में लिखें - लिख यहाँ कापी कर लायें धन्यवाद-
आप की प्रतिक्रियाएं हमें ऊर्जा देती हैं