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Friday, March 25, 2022

विरहिन



बगिया में कोयल कूके
मन ना भाए
मोरे साजन न आए

लाल लाल फूल खिले
जिया को जलाए
बदरंग होली अगुन लगाए

सूख गई बाली बाली
तपन बढ़ी उर
सजना से ही हरियाली

जेठ दुपहरी सूना आंगन
जेठ न भाए
साजन बस नैना तरसाए

सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर 5


please be united and contribute for society ....Bhramar5

1 comment:

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