मेरी बिटिया जब आई तो
भोर हुआ इक नया सवेरा
मलयानिल जैसे पुरवाई !
मन महका शीतलता छाई !!
उमड़ घुमड़ घन छाये गरजे !
रिमझिम रिमझिम बादल बरसे !!
चहुँ दिशि में फैला उजियारा
मन मयूर अंगनाई नाचा !
बाप बना कोई-बना था चाचा !!
पास पडोसी जुट आये सब
थाल बजाये – गाये गाना
सोहर अवधपुरी का गाया !
मुंह मीठे मधु -रस घुल आया !!
दादा दादी फूल के कुप्पा !
लक्ष्मी शारद देते उपमा !!
दौड़ -दौड़ कर स्वागत करते
लक्ष्मी आज अंगनवा आई !
हहर हहर खुश उसकी माई !!
मलयानिल जैसे पुरवाई !
मन महका शीतलता छाई !!
उमड़ घुमड़ घन छाये गरजे !
रिमझिम रिमझिम बादल बरसे !!
चहुँ दिशि में फैला उजियारा
मन मयूर अंगनाई नाचा !
बाप बना कोई-बना था चाचा !!
पास पडोसी जुट आये सब
थाल बजाये – गाये गाना
सोहर अवधपुरी का गाया !
मुंह मीठे मधु -रस घुल आया !!
दादा दादी फूल के कुप्पा !
लक्ष्मी शारद देते उपमा !!
दौड़ -दौड़ कर स्वागत करते
लक्ष्मी आज अंगनवा आई !
हहर हहर खुश उसकी माई !!
बहुरि गये दिन इस फुलवारी
फूल खिला अब इस अंगनाई
व्यथा रोग सब हर ले भाई
देवी का प्रतिरूप है बेटी
वरद हस्त ले कर गृह आई !!
भर देगी आंगन घर तेरा
शुभ-शुभ जगमग तेरा डेरा
मान करे तू गले लगाये !
जितना प्यार इसे कर पाए !!
अरे लुटा दे खुले हाथ तू
दुगुना तू जीवन में पाए !!
यही कल्पना यही किरण है
प्रतिभा ममता सब कुछ ये
ये गंगा है सीता है ये
यही शीतला यही भवानी
दुर्गा भी ये चंडी मान !
धरती है सुख धन की खान !!
चरण पकड़ चल दे संग इसके
जीवन तू पाए सम्मान !!
सब से बड़ा दान कन्या का
कर पाए जो बने महान !!
दिया जला- फैला – उजियारा
अँधियारा अब कोसों दूर
बेटा -बेटी कभी न करना
मन में कभी न ऐसी भूल !!
जगमग ज्योति जलाये चलना
चरण चढ़ा ले पग की धूल !!
वरद हस्त ले कर गृह आई !!
भर देगी आंगन घर तेरा
शुभ-शुभ जगमग तेरा डेरा
मान करे तू गले लगाये !
जितना प्यार इसे कर पाए !!
अरे लुटा दे खुले हाथ तू
दुगुना तू जीवन में पाए !!
यही कल्पना यही किरण है
प्रतिभा ममता सब कुछ ये
ये गंगा है सीता है ये
यही शीतला यही भवानी
दुर्गा भी ये चंडी मान !
धरती है सुख धन की खान !!
चरण पकड़ चल दे संग इसके
जीवन तू पाए सम्मान !!
सब से बड़ा दान कन्या का
कर पाए जो बने महान !!
दिया जला- फैला – उजियारा
अँधियारा अब कोसों दूर
बेटा -बेटी कभी न करना
मन में कभी न ऐसी भूल !!
जगमग ज्योति जलाये चलना
चरण चढ़ा ले पग की धूल !!
सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर ५
२४.५.२०११ जल पी बी
२४.५.२०११ जल पी बी
29 comments:
बहुत सुन्दर एहसास लिखे हैं ... बिटिया को शुभकामनायें
आदरणीया संगीता जी -नमस्कार और हार्दिक धन्यवाद बिटिया को आशीष व् शुभ कामनाएं देने के लिए -काश सब माँ बाप और सब लोग बिटिया के आने की ख़ुशी में यों ही मन से ख़ुशी हों तो हमारा ये समाज नारी का उत्थान कर पाए और फिर हमारा भी उत्थान हो -
शुक्ल भ्रमर ५
narayani के द्वारा May 24, 2011 के द्वारा May 25, 2011
narayani के द्वारा
May 24, 2011
नमस्कार भमर जी
माँ की पीड़ा जानती है
पिता का दर्द समझती है
भाई की लम्बी उम्र मांगती है
मायके का मान रखती है
ससुराल का गुमान होती है
बहुत खुश किस्मत है वो लोग जिनके लिए
बेटी बोझ नही जान होती है
आपको बहुत बधाई
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति
धन्यवाद
नारायणी
surendra shukla bhramar5 के द्वारा May 25, 2011
सम्माननीया नारायणी जी बहुत ही सुन्दर रचना आप की-
आप ने बेटी के हर रूप को दर्शा मन खुश कर दिया सच में बेटी कितना कुछ करती है माँ के साथ हर काम में उसका हाथ बटाती है-दोस्त सी उसके मन को समझती है -समाज को एक पुरुष और बेटी के रूप में अपनी अमूल्य देन देती है -जग जननी हम कहते हैं उसको -
बहुत बहुत धन्यवाद आप का
rachna varma के द्वारा
May 25, 2011
शुक्ला जी बहुत अच्छी कविता , बेटियां तो हमेशा महत्त्वपूर्ण होती ही है
धन्यवाद
surendra shukla bhramar5 के द्वारा May 25, 2011
आदरणीय रचना जी बेटियों के स्वागत में आप आयीं ख़ुशी हुयी सच कहा आप ने बेटियों की भूमिका जीवन में बहुत ही महत्वपूर्ण हैं इन के बिन माँ का मन और नैहर ससुराल कहाँ ??
psudharao के द्वारा May 25, 2011
भरमार जी
नमस्कार
धन्य हैं वे जो बेटी के जन्म पर मनाते हैं खुशियाँ .
बेटियां हमेशा देती ही तो आई हैं
कभी मां बन कभी बेटी बन
कभी बहन कभी बहू बन
surendra shukla bhramar 5 के द्वारा May 25, 2011
सुधा राव जी नमस्कार -बहुत सुन्दर विचार आप के -हमें बेटियों के होने पर मुंह बना बैठना नहीं चाहिए आज जिनकी वजह से हम यहाँ हैं वो इन्ही का रूप ही तो है आओ सब मिल समान विचार लायें और इन के हर रूप का स्वागत करें -बेटा बेटी में फर्क न करें
धन्यवाद आप का
शुक्ल भ्रमर ५
Nikhil के द्वारा May 25, 2011
naari विषय पर आपकी सोच बहुत गहरी है. एक और सुन्दर रचना. बधाई.
surendra shukla bhramar 5 के द्वारा May 25, 2011
निखिल भाई नमस्कार -आप ने सच कहा पहले हमें कारण खोजना चाहिए फिर हर चीज का निवारण वो हमें यहाँ इस नारी में जो की बहन बेटी पत्नी माँ और अनेकों रूप में आप का साथ देती है अगर उसका सम्मान होता रहे तो मन कितना खुश रहता है और जब आप का मन खुश होगा तो सब कुछ आप के सारे विषय बनते सुधरते चले जायेंगे -आज हम आप सब उनकी ही कृति हैं न निखिल जी -
धन्यवाद आप के प्रोत्साहन के लिए
Aakash Tiwaari के द्वारा May 25, 2011
सुरेन्द्र जी,
सुन्दर रचना पर आपको बहुत बधाई….
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एक अकेला
आकाश तिवारी
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surendra shukl Bhrmar5 के द्वारा May 25, 2011
आकाश तिवारी जी -हार्दिक अभिनन्दन और अभिवादन आप का
बिटिया के आगमन और स्वागत को आह्वान करती इस रचना में आप ने भाग लिया प्रोत्साहन दिया ख़ुशी हुयी आइये सब मिल बेटी माँ नारी इस रूप का सम्मान करें
आभार आप का
nishamittal के द्वारा May 25, 2011
काश नारी के प्रति तथा सभी बेटियों के प्रति सबकी सोच इतनी व्यापक हो.बधाई शुक्ल जी.
surendra shukl Bhrmar5 के द्वारा May 25, 2011
आदरणीया निशा जी नमस्कार -इसी बात का तो रोना है की चाहे नारी हो या पुरुष दोनों कभी कभी बेटियों के पैदा होने पर दुखी होते हैं महिलाएं कोसी जाती हैं- लोग वहीँ अपना उद्गम/ अस्तित्व भूल जाते हैं -
सच कहा आप ने नारियों के प्रति व्यापक दृष्टिकोण होना जरुरी हैं आइये सब मिल हम इसका प्रयास करते रहें
आभार आप का
Sanjay A Sinha के द्वारा May 25, 2011
बहुत सुदर
Marvellous …!!! keep it up …
S A SINHA
MAURITIUS
surendra shukl Bhrmar5 के द्वारा May 25, 2011
आदरणीय संजय सिन्हा जी हार्दिक अभिन्दन और अभिवादन आप का -
शायद आप ने मारिसस से लिखा -ये देख अति हर्ष हुआ -काश सुदूर क्षेत्र तक बेटियों के प्रति यही आदर भाव , सम्मान प्रेम फैले -तो ये समाज ये दुनिया कितनी सुन्दर हो -हम इसे केवल संकीर्ण मन और लाभ हेतु न देखें
शुक्ल भ्रमर ५
alkargupta1 के द्वारा May 25, 2011
शुक्ला जी , जीवन में बेटियों का स्थान बहुत ही महत्त्वपूर्ण व उच्च है दो परिवारों की प्रतिष्ठा
है अद्भुत कृति है सच में बेटी-बहू बहुत ही सम्माननीय है | अद्वितीय भावों के
साथ अनुपम कृति ! बधाई
surendra shukl Bhramar5 के द्वारा May 25, 2011
आदरणीया अलका जी नमस्कार
बहुत सुन्दर भाव आप के काश सभी माएं सभी पिता आप सा ही सोचें बिना इनके हमारा वजूद ही कहाँ कितने पागल लोग है हमारे जो इन्हें दुनिया में आने ही नहीं देना चाहते -आइये सब मिल उनके प्रति प्रेम लुटाते रहें
प्रोत्साहन के लिए धन्यवाद
संदीप कौशिक के द्वारा May 25, 2011
भ्रमर जी,
अति उत्तम रचना……बेटी को दी गयी उपमाओं के साथ !!
भगवान आपकी लाड़ली को लंबी आयु प्रदान करें ||
आभार सहित…
surendra shukl Bhramar5 के द्वारा May 25, 2011
प्रिय संदीप जी -हम आभारी हैं आप के -
आप की शुभेच्छा हमारे साथ हमारे समाज के सभी बेटियों को पहुंचे- वे दीर्घायु हों- प्यार में पलें-बेटा बेटी का उन्हें कभी फर्क किसी माँ बाप से सुनना न पड़े -और इन सब के सब से बड़े कारण हमारे दहेज़ दानव का सर्वनाश हो -आओ सब मिल जीवन भर नारी का सम्मान करें -खुश रखें और ख़ुशी से ओत प्रोत रहें
प्रोत्साहन के लिए धन्यवाद
कुश्वंश ने कहा…
देवी का प्रतिरूप है बेटी
वरद हस्त ले कर गृह आई !!
भर देगी आंगन घर तेरा
शुभ-शुभ जगमग तेरा डेरा
मान करे तू गले लगाये !
जितना प्यार इसे कर पाए !!
अरे लुटा दे खुले हाथ तू
दुगुना तू जीवन में पाए !!
khoobsoorti se utaree jhankee badhai
मंगलवार, २४ मई २०११ ९:२६:०० अपराह्न IST
मंगलवार, २४ मई २०११ १०:५१:०० अपराह्न IST
Surendrashukla" Bhramar" ने कहा…
आदरणीय कुश्वंश जी -नमस्कार -बेटी और हमारे देवी की प्रतिरूप के जनम की झांकी आप को प्यारी लगी सुन हर्ष हुआ -काश लोग बेटी के पैदा होने के समय ऐसे ही ख़ुशी मनाएं आनंद से झूमें नाचें पूरा घर मोहल्ला मन से साथ दे क्या बात हैं
आभार आप का प्रोत्साहन के लिए
सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर ५
बुधवार, २५ मई २०११ ६:३६:०० पूर्वाह्न IST
शालिनी कौशिक ने कहा…
beti ke janm par aisa ullas chha jaye to kya kahne .bahut khoob ....
Surendrashukla" Bhramar" ने कहा…
शालिनी जी नमस्कार बहुत खूब सुन्दर आप के भाव -बेटी के जनम पर ऐसे ही उल्लास छाना जरुरी है सहृदय लोग झूमते नाचते हैं भी -जो जीवन को समझते हैं तभी वे आज प्रतिभा , ममता, किरण , शालिनी और शिखा के प्रखर तेज और समाज में योगदान के रूप में दीखते हैं
आभार आप का प्रोत्साहन के लिए
सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर ५
मदन शर्मा ने कहा…
फूल खिला अब इस अंगनाई
व्यथा रोग सब हर ले भाई
देवी का प्रतिरूप है बेटी
वरद हस्त ले कर गृह आई !!
भर देगी आंगन घर तेरा
शुभ-शुभ जगमग तेरा डेरा
मान करे तू गले लगाये !
जितना प्यार इसे कर पाए !!
अरे लुटा दे खुले हाथ तू
दुगुना तू जीवन में पाए !!
कविता का सुन्दर प्रवाह !
यह प्रवाह आगे भी जारी रखिये
ह्रदय से आभार ,इस अप्रतिम रचना के लिए..
May 24, 2011 7:29 PM
Surendrashukla" Bhramar" ने कहा…
मदन जी नमस्कार और धन्यवाद आप का -जरुरी है बेटी के आगमन पर ये ख़ुशी मनाना लीक से हट -ये गाना बजाना यों ही बढे -मन सब खुश कर नाचें -मजा आ जाये ज्यों हम दुर्गा पूजा मनाते हैं -
ये प्रवाह हमारा आप का यों ही चले बढे और कविता बनती जाये ---
सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर ५
May 25, 2011 6:22 AM
आशुतोष की कलम ने कहा…
वह भ्रमर जी...
बिटिया के जन्म पर ख़ुशी और इतनी सुदर कविता..
समाजिक कुरूतियों और भेदभाव से ऊपर उठने का सन्देश भी निहित..
बहुत सुन्दर आभार
May 24, 2011 10:02 PM
Surendrashukla" Bhramar" ने कहा…
हाँ आशुतोष भाई है न आश्चर्य की बात बेटी के जनम पर ख़ुशी -लेकिन हमें यही करना है तब हमारी बेटी नारी देवी खुश हो हमारा समाज बनायेंगी -मुह लटका नहीं बैठना है बेटी के आगमन पर -ज्यों शादी में -ज्यों दुर्गा पूजा में हम ख़ुशी होते हैं वैसे ही -
आभार आप का प्यारी प्रतिक्रिया के लिए
सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर ५
May 25, 2011 6:25 AM
Nice post.
मौत की आग़ोश में जब थक के सो जाती है माँ
तब कहीं जाकर ‘रज़ा‘ थोड़ा सुकूं पाती है माँ
रूह के रिश्तों की गहराईयाँ तो देखिए
चोट लगती है हमारे और चिल्लाती है माँ
डॉ अनवर जमाल जी आदाब -धन्यवाद आप का बेटी और नारी-माँ के स्वागत में आप शामिल हुए -माँ पर लिखी आप की रंचना और आडिओ बहुत प्यारा है -हम बार बार सुनते हैं -आभारी हैं हम आप के -प्रोत्साहन के लिए धन्यवाद
शुक्ल भ्रमर ५
sunder post
संजय कुमार भास्कर जी धन्यवाद आप का बेटियों के पैदा होने पर स्वागत में आप शामिल हुए हर्ष हुआ काश इसी तरह से सभी खुले मन से बेटी बेटा का फर्क भूल बेटियों को प्यार दुलार दें
शुक्ल भ्रमर ५
क्षमा कीजियेगा अनवर जी की प्रतिक्रिया आप के पास चली गयी
सुंदर रचना ... बेटी के प्रेम और सुख की रचना...
सुन्दर रचना ......ये मैने बेटियों के लिये लिखा है :)
निवेदिता जी धन्यवाद आप का-
बेटियों के पैदा होने पर -स्वागत में आप आयीं और बेटियों के लिए आप ने लिखा हर्ष की बात है -काश सब लोग बेटियों के लिए ऐसे ही सोच रखें कोई फर्क न करें ??
शुक्रिया आप का
बेटी होती है हृदह की तार, जीवन का सार…. बेटी को शुभकामनाएँ…..
आदरणीय दिगंबर नासवा जी धन्यवाद आप का सच बेटी का सुख होगा तो हम सब भी खुश रहेंगे -
शुक्ल भ्रमर ५
आदरणीया माहेश्वरी कानेरी जी -धन्यवाद आप का सच कथन आप का बेटियां जीवन का सार हैं -वे माँ का प्य्रार हैं दुलार हैं दोस्त हैं ममता हैं -आइये समता रखें बेटे बेटी में
शुक्ल भ्रमर ५
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