Showing posts with label sajan. Show all posts
Showing posts with label sajan. Show all posts

Sunday, June 26, 2011

साजन (तेरी नजरों का प्यार भरा था)

उस - एक तराजू के पलड़े में
सोना -चांदी कुछ प्यार भरा था
नफरत थी कुछ घृणा भरी थी
जीवन संग अंगार भरा था !!

इस झुके हुए पलड़े में साजन



तेरी नजरों का प्यार भरा था



जो अथाह था -मन से मिलते
सपने -सच-श्रृंगार भरा था !!
(सभी  फोटो  गूगल  / नेट  से  साभार  )


इस किताब को पढ़ पाने का

जज्बा-प्यारा हुनर भरा था

भंवर में उलझी नौका मेरी







माझी -इक पतवार दिखा था !!

शुक्ल भ्रमर  
२७.०६.२०११ जल पी बी