(हार्दिक आभार जागरण जंक्सन (३०.०६.२०११)  और हमारे प्रिय पाठकों को -इस सम्मान तक लाने में
(निम्न  फोटो साभार गूगल/नेट से) 
नैन मिल ही गए बात हो जाने दो बेरहमी से यूं ना पर्दा गिराइये  --जाइए जाइए 
मूर्ति बन मै गया एक झलक के लिए 
सर पे बांधे कफ़न एक नजर के लिए 
नाग जैसे फंसा एक मणि के लिए 
आग जैसे जला उर्वशी के लिए 
राख बनने से पहले ही छा जाइये 
आंसू छलके ख़ुशी के जो बरसाइये 
जाइए जाइए ---------
नैन मिल ही गए बात हो जाने दो 
बेरहमी से यूं ना पर्दा गिराइये --जाइए जाइए 
प्यार दिल में जो पनपा वो कब तक छिपे 
लाख बादल ढंके चाँद क्या छिप सके ?
कैद बुल बुल जकड आह मत लीजिये 
नैन मूंदे प्रिये आंसू मत पीजिये 
फूटी जो कली कितना पर्दा करे 
देख उसको जरा तो सकुचाइए 
जाइए जाइए ---------
नैन मिल ही गए बात हो जाने दो 
बेरहमी से यूं ना पर्दा गिराइये --जाइए जाइए --
फूल अरमान दिल तेरे स्वागत बिछे ना कुचल जाइये 
गूंथ माला प्रिये बिखरे मोती सभी आज चुन लीजिये 
साँसे उखड़ी भले प्राण प्रिय में बसा ना दफ़न कीजिये 
बाँहे उठ ही गयी मन मचलने लगा पग को बल दीजिये 
सुख पथराये ना दिल की सुन लीजिये 
सींच उसको सनम ना प्रलय ढाइए  - न कुम्हलाइए
जाइए जाइए ---------
नैन मिल ही गए बात हो जाने दो 
बेरहमी से यूं ना पर्दा गिराइये --जाइए जाइए --
जंग  जीतेगे हम आप जो संग हैं 
द्वार खुल जायेंगे आज जो बंद हैं 
काया है एक ही पांच ही तत्व हैं 
रक्त ले हम खड़े देख लो एक है 
होके मायूस ना हर पहनाइए 
दिल को जीतेंगे हम आस मन में लिए 
आज मुस्कुराइए - 
जाइए जाइए ---------
नैन मिल ही गए बात हो जाने दो 
बेरहमी से यूं ना पर्दा गिराइये --जाइए जाइए --
(जागरण जंक्सन दिनांक ३०.०६.२०११  हमारे सभी पाठकों को हार्दिक आभार ये सम्मान देने के लिए)
 सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर ५
२.६.२०११
हजारीबाग-तिलैया  ५.४.१९९५