Friday, October 14, 2011

ये गात सदा यौवन पाए








(photo with thanks from google/net )

हमारे सभी सम्माननीया और साथ ही सम्माननीय मित्र गन  को करवा चौथ के पावन पर्व पर हार्दिक शुभ कामनाएं  ...
सब का चाँद खिला रहे 
दिल मिला रहे 
रोशन हो घर का हर  कोना 
जीवन का भूले सब रोना 
हांथों में मेंहदी लगी  रहे 
प्रियवर दुल्हन सी सजी रहे 
विरह गीत सब आज भुलाकर 
मधुरिम मंगल गीत सुनाकर
मोहे मन दे दे जीवन 
ये गात सदा यौवन पाए 
तब अर्पण हो कुछ गर्व मिले 
ये प्यार सदा परवान चढ़े 
ये  तीन शब्द मन को छू के 
ज्यों पुष्प चढ़े जा चरणों में 
माँ पिता को ऐसा स्नेह मिले 
राहों में फूल निछावर हों 
हर  वीर शहीद यशश्वी हों 
हम गर्व से मन में उन्हें बसा 
सब प्यार लुटा दें  बादल सा 
प्रीतम प्रिय हों मन सांसों में 
जीवन बन सुरभित रग रग हों 
हर दिन शुभ हो रंग बिरंगा 
करवा चौथ सा अनुपम क्षण हों 
सागर की लहरों में खोकर 
सीपी  बन  हम मोती पायें 
मोती से  फिर हार बने हम 
गले से उनके हम लग जाएँ 
भ्रमर ५ 
14.10.2011, JAL P B 
9.11 PM

4 comments:

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

खूबसूरत एहसास

Surendra shukla" Bhramar"5 said...

आदरणीय संगीता जी अभिवादन और आभार प्रोत्साहन हेतु रचना की मंगल कामना के खूबसूरत अहसास हेतु
भ्रमर ५

Surendra shukla" Bhramar"5 said...

abodhbaalak के द्वारा October 16, 2011
भ्रमर जी
मंच पर आने के बाद से आपन जितनी भी रचनाये लिखी हगे वो सब एक से बढ़ कर एक हैं
उसी कर्म में एक और सुन्दर …………….
ऐसे ही मंच की शोभा बढाते रहें
http://abodhbaalak.jagranjunction.com/

surendra shukla bhramar5 के द्वारा October 16, 2011
प्रिय अबोध बालक जी अभिवादन ..ये तो आप का बड़प्पन है ..और हमारा भाग्य है कि आप सब से महान पुरुषों कवि लेखक मित्रों का सानिध्य और प्यार मिल रहा है शोभा तो बढती ही रहेगी आइये सब मिल इस मंच को और गौरव देते रहें ..
भ्रमर ५
syeds के द्वारा October 16, 2011
भ्रमर जी, सुन्दर हास्य रचना के लिए बधाई के पात्र
हैं..
http://syeds.jagranjunction.com

surendra shukla bhramar5 के द्वारा October 16, 2011
हार्दिक आभार और अभिवादन सैयद जी …रचना में कुछ हास्य का असर दिखा ये अच्छी लगी सुन हर्ष हुआ …अपना स्नेह बनाये रखें
भ्रमर ५
Abdul Rashid के द्वारा October 16, 2011
प्रिय भ्रमर जी सदर नमस्कार
आधे गिलास पानी का आनंद लीजिए
दिवाली की हार्दिक सुभकामनाओ के साथ
सप्रेम
अब्दुल रशीद

surendra shukla bhramar5 के द्वारा October 16, 2011
प्रिय रशीद जी सच कहा आप ने आधे गिलास पानी का आनंद …..आधा भरा तो है न …दिवाली की अग्रिम आप की शुभ कामनाओं हेतु बहुत बहुत आभार प्रभु से कामना है की वह आप सब को सदा ख़ुशी सुखी रखे …
आभार
भ्रमर ५
rajkamal के द्वारा October 15, 2011
प्रिय भ्रमर जी …..सादर प्रणाम !
यह जान कर मन को सकूं मिला की आपकी पत्नी द्वारा व्रत न रखने के कारण आपकी आधी तनख्वाह बच गई …..
अब दिवाली ढंग से और बढ़िया तरीके से मनाई जायेगी ….
आपमें हास्य के कीटाणु भी है यह देख कर मोगाम्बो खुश हुआ ….
हा हा हा हा हा हा
मुबारकबाद
जय श्री राधे कृष्ण





surendr shukla bhramar5 के द्वारा October 15, 2011
प्रिय राज भाई अरे बची कहाँ दर असल आधे महीने की कमाई खर्च ही हो चुकी थी आधा मैंने खर्च कर डाला इस व्रत हेतु … अब दीवाली में आनंद मनाने के लिए बचा कहाँ ?? खैर पटाखे फुलझड़ियाँ कुछ तो ..धमाल ..तब हो होगा कमाल न …
हाँ आप जैसे गुरु हों तो कीटाणु तो आ ही जायेंगे हास्य व्यंग्य के ..ह हां ..
आप के इतने सारे भाव भंगिमाएं देख ठाकुर खुश हुआ …..
जय श्री राधे …अपन दुलार प्यार बनाये रखिहा …..
भ्रमर ५

Surendra shukla" Bhramar"5 said...

sadhana thakur के द्वारा October 15, 2011
भ्रमर जी ,बहुत ही रोचक रचना ………

surendr shukla bhramar5 के द्वारा October 15, 2011
आदरणीय साधना जी रचना के प्रसंग में रोचकता दिखी आप को हर्ष हुआ कैसे भी थोडा आनंद आये मन को …
आभार
भ्रमर ५
manoranjan thakur के द्वारा October 15, 2011
यही तो आपकी खूबी है
हर विधा के माहिर

surendr shukla bhramar5 के द्वारा October 15, 2011
धन्यवाद और आभार आप का मनोरजन ठाकुर जी …लिखते रहें ..देश सेवा चलती रहे और हम सब जोर से बोलें..
ठाकुर मनोरंजन …..
भ्रमर ५
Santosh Kumar के द्वारा October 15, 2011
आदरणीय भ्रमर जी ,.सादर प्रणाम
बहुत सुन्दर मजेदार प्रसंग बता कर आपने आनंद १०० गुना बढ़ा दिया ,…
हमेशा की तरह बहुत बढ़िया रचना ,..हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं

surendr shukla bhramar5 के द्वारा October 15, 2011
प्रिय संतोष भाई ये रचना १०० गुना रौशनी बढ़ाई चंदा की —-सुन ख़ुशी हुयी आप के सितारे यूं ही रोशन रहें चाँद चमकता रहे ..आनंद का अतिरेक हो ….गुल और गुलशन खिला रहे ….ये प्रसंग कुछ सच्ची घटना पर है …
जय माता दी
भ्रमर ५
Santosh Kumar के द्वारा October 16, 2011
आदरणीय भ्रमर जी ,.प्रसंग आपका है ,..सच्चा ही है ,…गाँवों में अभी चलन है ,.किसी पर्व पर किसी की म्रत्यु होने पर उसे मानना हमेशा के लिए बंद कर देते हैं ,..जबतक की उसदिन कोई नया जन्म न हो ,…हमारे यहाँ गाय के बछड़ा देने पर भी मनाना शुरू कर देते हैं ,…
आपका प्रयास रंग लाया ,..आधी कमाई +आपकी मेहनत +भावनायों के फलस्वरूप जो ख़ुशी मिली होगी उसे सिर्फ आप ही महसूस कर सकते हैं ,..उसे लिख पाना शायद संभव न हो ,..हम तो सिर्फ अंदाजा लगा सकते हैं ,…
जय माता की
surendra shukla bhramar5 के द्वारा October 16, 2011
प्रिय संतोष जी बिलकुल सच घटना आप ने बताई गाय के भी बछड़ा होने पर फिर सब कुछ शुद्ध माना जाता है और व्रत ख़ुशी शुरू …लेकिन अपने वश में किसी को संतान देना वरदान देना कहाँ ?? सो अपने से ही कुछ कर के रीति रिवाज बदला जाए ..सब मान लें प्यार से तो शुरू …हाँ ख़ुशी तो मिलेगी ही जब दुल्हन सज संवर आप की आरती उतारे ….ह हा
शुक्ल भ्रमर ५
nishamittal के द्वारा October 15, 2011
शुक्ल जी करवाचौथ के पर्व पर सुन्दर शुभकामनाओं से युक्त रचना बहुत भाई.धन्यवाद.

surendr shukla bhramar5 के द्वारा October 15, 2011
आदरणीया निशा जी अभिवादन और बहुत बहुत आभार जल्दबाजी में लिखी गयी ये रचना आप के मन को छू सकी हर्ष हुआ बहुत बहुत शुभकामनाये आप सब को
भ्रमर ५
akraktale के द्वारा October 15, 2011
आदरणीय सुरेन्द्र जी सादर नमस्कार,
बहुत ही सुन्दर रचना और प्रसंग वर्णन. किसी दिन मेरे भी घर आ कर जरूर सुनाना. मुझ को फिर आप जैसी परेशानी नहीं उठानी पड़ेगी. आभार.

surendr shukla bhramar5 के द्वारा October 15, 2011
प्रिय अशोक जी पहले तो भूमिका बाँध आप ही इसे पढ़ा दीजिये दिखा दीजिये घर पर फिर मेरे जैसा हिम्मत कर सीना चौड़ा कर ..अनशन शुरू या तो बात बनेगी या फिर कपडे …अन्ना के लोगों सा …ह हा…
आभार आप का प्रोत्साहन हेतु
भ्रमर ५
jlsingh के द्वारा October 14, 2011
भ्रमर जी, नमस्कार!
कविता का शीर्षक और शुरुआत गद्य से,– पहले तो मैंने सोंचा की आपने राह बदल ली है. पर उदगार जो मैंने पढ़ा वह टी.वी. या फिल्मों का असर है या निशाजी के लेख का!
बहुत अच्छा लगा आपके उदगार गद्य और पद्य दोनों रूपों में पढ़कर!- बधाई!

surendr shukla bhramar5 के द्वारा October 15, 2011
प्रिय जवाहर जी जय हो ये उद्गार और लेखन कला चाहे आप से , राज कमल भाई से या निशा जी से जिससे भी मिली हो ख़ुशी दी क्योंकि आप ने इस गद्य को भी सराहा …आभार आप का अपनी कृपा और स्नेह रखें कुछ न कुछ लिखता रहूँ बस ..
भ्रमर ५
naturecure के द्वारा October 14, 2011
आदरणीय शुक्ल जी
सादर अभिवादन !
करवा चौथ के पर्व पर आपकी यह सुन्दर रचना मन को प्रफुल्लित कर गयी -
करवा चौथ सा अनुपम क्षण हों
सागर की लहरों में खोकर
सीपी बन हम मोती पायें
मोती से फिर हार बने हम
गले से उनके हम लग जाएँ
…………………………………………..बहुत-बहुत बधाई !

surendr shukla bhramar5 के द्वारा October 15, 2011
प्रिय डॉ कैलाश जी आभार आप का प्रोत्साहन हेतु ..ढेर सारी शुभ कामनाएं इस पर्व पर आप सब को ..आनंद और उत्साह पायें
भ्रमर ५