Wednesday, March 30, 2011

आओ 'होली' जल्दी आओ -जियरा जरा जुड़ाई-


आओ 'होली' जल्दी आओ -जियरा जरा जुड़ाई-

होली आई मेरे भाई बनठन के  
रंगीली जैसे नारि हो .....
पिया के स्वागत तत्पर बैठी 
छप्पन भोग बनाये 
गुलगुलाल हर फूल बटोरे 
छनछन  सेज संवारे
घूंघट उठा उठा के ताके 
घर आँगन क्षन-क्षन में भागे 
हवा बसंती -कोंपल-हरियाली 
तन में आग लगाये 
खिले हुए हर फूल वो सारे 
मुस्काएं -बहुत - चिढ़ाएं



कोयल भी अब कूक-कूक कर 
"कारी" -  करती जाये 
सुबह 'बंडेरी' -  'कागा' बोले  
'नथुनी' हिल-हिल जाये 
होंठों को फिर फिर चूमि -चूमि के
दिल में आग लगाये
कहे सजन चल पड़े तिहारे
जागे- गोरी 'भाग' रे
आँगन तुलसी खिल-खिल जाये
हरियाली 'पोर' - 'पोर' में छाये
रंग - बिरंगी तितली जैसी
भौंरो को ललचाये
रंग गुलाल से डर-डर मनवा
छुई -मुई हो जाये
पवन सरीखी -  पुरवाई सी  
गोरी उड़ -उड़ जाये
चूड़ी छनक -छनक 'रंगीली'-
होली याद दिलाये
सराबोर कब मनवा होगा
मोर सरीखा नाचे
पपीहा -पिया -पिया तडपाये
बदरा उडि -उडि गए "कारगिल"
"काश्मीर"-"लद्दाख"
गोरिया विरहा -"रैना" मारी
भटके कोई सागर तीरे 
कोई कन्या - कुमारी
बंडवा - नल -'सुख' -'सोख' ले  रहा
फूल रहा -कुम्हिलाई
आओ 'होली' जल्दी आओ
कान्हा को लई आओ
सावन के बदरा से बरसो
जियरा जरा जुडाई

सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर
३०..२०११ प्रतापगढ़ .प्र . 

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