“ज्वालामुखी ”
ज्वालामुखी हूँ
बच के रहना
अभी धुआँ है
फूट पडूँगा
अंगारे तन -आग भरी है
शोले हैं -चिनगारी
कब तक -"बंकर " में
छुप रहना ???
अंधियारे में गुम-सुम गुम-सुम
परत- आज कमजोर हो रही
"कोलाहल" है
भरा हुआ - काला ये सारा
"छाती"- में !!
बना जा रहा कोयला
अंगार दहकते -
भूल जा सारी -शक्ति अपनी
नहीं सख्त है -अभी वक्त है
लावा बनकर-
बह निकलेंगे
तोड़- फाड़ के पत्थर
"पानी" बन जा -एक झील
झरने सा मिल जा -
आके इस विशाल से
"शांत" -समुन्दर
हलचल तेरी -कुछ कम होगी
"तुम " से अगर -
अथाह मै देखूं
-"शीतल" -सारे
सभी मिले हों -
साथ खड़े हों -
मुस्काते हों -
कुछ गाते हों
अपनी धुन -संगीत प्रकृति में
"लीन" -अगर हों
ठंडा -शायद मै हो जाऊं
कुछ दिन सोया पड़ा
"धरा"- में
गति -विधियों पर
नजर -गडाए
गड़ा -रहूँगा .
शुक्लाभ्रमर५
१०.३.२०११ जल पी बी
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