"बदनामी -सुनामी " का रूप ले ..
बड़े -बड़े -बोट-शिकारे-नाव 
जहाज-भीड़ -जुटती 
होड़ थी उन तक -
जा पहुचने की 
उनके दरबार में -अपना भी नाम-
लिखा आने की 
आज न सही -  कभी 
दुःख -दर्द में -अँधेरे में 
काम आयेंगे 
जिनका है बड़ा "नाम"-
बड़ा "काम"!!!
'उन' तक पहुचना 
गंगा में जौ बोने सा था -
भूगर्भ में -
गुप्त रहस्य !!!
निरंतर -  टकराव 
हमारे मन सा -
परतों के पन्नो को -
घिसते -कमजोर कर देते हैं
ला देते - झंझावत -  कम्पन 
विस्फोट- 
ज्वालामुखी !!
सुनामी >>>><<<
और फिर 
एक बदनामी -"सुनामी" का 
रूप ले -डुबा देती है -  नावें 
कितनों की -  अपनों की 
प्यारे दुलारों की 
भोले लोगों की -
जो की 'नेक' थे 
आते थे मिलने कि
कल मेरा 'अपना' -   'सपना' 
गाँव का -  दुःख दर्द 
हर लेगा -
'हर' लिया  उसने 
एक दिन - साम्राज्य बना - बनाया 
छिपा -छिपाया -डूब गया 
और उजागर हो गया 
गुप्त -रहस्य
नोटों कि गड्डियां
कुछ "फूले" -लोग -
चेहरा छिपाए- उलटे तैरते 
नजर आये !!!
मन की भंड़ास
कुछ कहने की
अन्दर दफ़न किये 
एक 'गुप्त -रहस्य' में 
शामिल हो गए 
और "वो" फूल 
गुमसुम - बेजान 
उन पर चढ़ने को 
तरसता रह गया
इन लहरों से दूर 
तट पर -  एक हाशिये पर !!
शुक्लाभ्रमर५
२.३.११ जल पी.बी.
 

 
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