" निमंत्रण"
अरबों   साल   का    है   ये तारा 
पृथ्वी  -  गोल  - चपटा  ब्रह्माण्ड ,
सूरज  से    कितने  सूरज हैं
किसने ,  'क्लोन'   बना   डाला,
कहें    'भ्रमर'-  जादूगर    आओ, 
धरती   पर -  कुछ   क्लोन बनाओ, 
रोटी -   कपडे   और   मकान   का  
भूखे   नंगे   बेघर   को    दो .
नदी   दूध   की -  स्वर्ग   वही हो, 
'कल्पतरु'   और  ऋषि  मुनियों  की ,
'शांति'   ख़ुशी   संस्कृति   का- 
अपनी -  क्लोन   बना   डालो. 
पेट    भरेगा -   रीढ़   हो  सीधी 
'मस्तक'    अपना    ऊँचा   होगा 
'चाँद'   सितारे   सोच  तभी 
फिर   नयी  'चेतना' 
इस   बंजर   में  -   'जड़'   थामेगी. 
सुरेंद्रशुक्लाभ्रमर
१९.२.११ जल पी.बी 
६.१६ पूर्वाह्न .
 

 
No comments:
Post a Comment