"हीरा"-कंचन -कांच सब इस हार में जड़ा हैं
ये दुनिया एक
स्कूल है - मंच है
पाठशाला है -तराशने का हीरा
बड़ा-कारखाना है
जोश भरो -अभी चढो
खोज करो -"सांस" -अभी -
बाकी है -बहुत कुछ
ढूँढना - खोजना
तलाश करना
अँधेरे में - आकाश गंगा में
"बरमूडा" के "ट्रैंगल" में
जिसमे कितने "हम"
डूब गए !!!
तुम क्या हो ??
एक बिंदु ? हो 'विलीन'
सागर में !!
अथाह जल में
डूबो -उतराओ -
छलाँग लगाओ
चाँद -सूरज को पास लाओ
हंसो हंसाओ -"जोकर" सा
जीवन भर - रौशनी बांटो
माँ की गोद - आँचल जो सीखा-
"दुलार"- "करो"
गुण -ढंग - लाज - हया
संस्कृति हमारी -
का -खुलकर -प्रचार करो
"मंच" पर चढ़ जाओ
"शिखर" पर चढ़ - "आओ" -
"झंडा" गाड़े -अपने
प्यारे 'स्कूल" में -अपने "वजूद" में
लौट आओ
जहाँ -कोई - छोटा न
कोई बड़ा है -
इस हार में जड़ा है
हम बच्चे -
ये एक गुरु है
खड़िया और स्याही से
"आँक" - जान फूंकने का
इसमें जुनू है !!!
थोडा सा 'झुक" जाओ
तरुवर बन फल लदा
नमन करो हाथ जोड़ -
समीकरण साधने का
याद रखो - गणित -"जोड़"-
जोड़ - तोड़ !!
दशमलव से -'शून्य" अभी -
सफ़र - बाकी है
सूरज के पार तक
मन की उड़ान तक !!!
सुरेन्द्रशुक्लाभ्रमर५
3 comments:
BAhut Sunder
chaitany ji hardik swagat hai aap ka apne is blog Bharamar ki Madhuri "kaaran aur nivaran" me .rachna aap ko sundar lagi sun harsh hua ..aap mujhse jagranjunction.com aur echarcha.com pr bhi mil sakte hain -sabhar
surendrashuklabhramar5
You are welcome-at this "stage" erum ji -अपना प्यार स्नेह अनवरत बनाये रखें
भ्रमर की माधुरी "कारण" और "निवारण" में
surendra kumar shukl Bhramar5
Post a Comment