शाम को मेरा
दिया जलाना
(photo with thanks from other source )
अंधियारे को
रोशन करना
लगता सब बेकार !!
कुछ -पल-को
अँधियारा कर मै
नजर बंद कर
इक सपने में
वो पल तेरे
साथ सुनहरे
याद किये ही
खो जाती हूँ
अम्मा फिर
अँधियारा देखे
चिल्लाती जब
सारे सपने
टूट बिखर -
फिर मेरे साजन
पल में तुझको
साथ - तुम्हारा
झूंठलाती हूँ
हे साजन जब
तुम ना आते ........
सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर५
2 comments:
lajwaab rachna
संजय भास्कर जी -हे सजन जब तुम ना आते रचना आप को लाजबाब लगी सुन हर्ष हुआ -आभार आप का
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